प्रपंच नेणतां जन्मती प्राणी |
जाणतां जन्म चुकती |
नेणता जन्मदारिद्री |
जाणता भाग्य होतसे || १ ||
जाणणें जाणत्यापासी |
नेणत्याला कसें कळे |
सावधी संग शोधावा |
कळतां कळतां कळे ||२||
जाणणें नीती न्यायाचे |
सत्य नेमस्त बोलणें |
येत्नाचा साक्षेपी प्राणी|
तो येक भाग्य मेळवी ||३||
बुधीनें सर्वहि होते|
बुधी दाता नारायेणु |
धी तो आपुला कीजे |
लक्षुमी चरणी वसे ||४||
विष्णु तो कोण तो कैसा|
पाळीतो तो कवणे परी|
त्रैलोक्य पाळकु येकु |
धन्य लीळा न वर्णवे ||५||
देहाचा घेतल्या बुंधी |
प्राणी मात्रासी वर्तवी |
कर्तृत्व दिसते डोळां |
कर्ता कोठेंचि नाडळे ||६||
धन्य रे धन्य कर्ता तो |
रंगरूप बहुगुणी |
केले ते पाहावें ना किं |
औकिले न वचे कदा ||७||
कोण कोणें घटीं कैसा |
चालवी बोलवी पाहा |
नानाविद्या कला युक्ती |
स्वयें देवचि जाणतां ||८||
येकला पूर्वला कैसा ||
हेची येक आपुर्वता |
अनंतभेद योनीचे|
सांगसाहित्य दाखवी || ९ ||
होय रे सुत्रधारी हा|
नाना सुत्रे बहुवीधे |
नाचवी खेळवी सर्वे |
त्रेलोक्य सचराचरी ||१०||
तो देव वोळखा वा रे|
लोक हो विसरु नका |
भक्त जो तोचि जाणावा|
येदर्थी संशयो नसे ||| ११ ||
|| इति श्री फूटयोग समास ||