आता वंदीन कुळदैवत| लीळाविग्रही भगवंत |
जो संकटीं सांभाळीत | आहे निजदासां || १ ||
येकवचनी येकबाण| एक पत्नी अभंग ठाण|
अजिंक्य राक्षसां निर्वाण | कर्त्ता समर्थ येकु || २ ||
जो धार्मिक पुण्यपरायण| शांति लावण्य सुलक्षण |
जेणें त्रिंबक परम कठीण| भग्न केलें बळें || ३||
जो लावण्याचा जनक| जो सौंदर्याचा नायक|
जो मार्तंडकुळदीपक | चातुर्यनिधी ||४||
ऐसा राम राजीव नयन| साधुजनांचें भुवन |
तया प्रभूचें ध्यान| वर्णीन हळुहळु || ५||
टवटवीत आणि रसाळ | निमासुर वदन वेल्हाळ|
लावण्य साजिरें केवळ | आनंदाचें वोतलें || ६ ||
सुरेख भृल्लता वेंकट| सरळ सतेज नासापुट|
नीट नेपाळलें लल्लाट l तेथें त्रिवळी साजिरी || ७ ||
केशर ऊर्धपुंड्र लल्लाटीं| वरी कस्तुरिका दुबोटी|
सुरंग अक्षता त्रिपुटी| शोभायमान || ८ ||
रत्नजडीत मनोहरें| कुंडलें तळपती मकराकारें |
श्रवण कोमळ तेणें भारे| लंबीत जाले || ९||
सुरंग लावण्य विचित्र| कोमळ तिक्षण पद्मपत्र |
तैसें आकर्ण विशाळ नेत्र | अधोन्मिळीत साजिरे || १० ||
अनर्ध्य रत्ने शुद्ध हेमी| खचित मुगुटीं फाकती रश्मी|
जैसा माघव वरूषतां व्योमी| प्रगटे विद्युल्यता || ११ ||
तैसीच कीरटी तेजाळ| पीत आरक्त फाकती कीळ |
विलेपनें साहित्य भाळ| प्रकाशलें तेणें || १२ ||
अभ्यंग केला चंपक तैलें| चाचर कुरळीं गुंफिली फुलें|
तेणें परिमळें लोधलें| मानस मधुकरांचें || १३||
तया कुसुमाचेनि वेधे| रुंझी करिताती षट्पदें|
अंतराळी झुंकार शब्दें| प्रीतीनें पांगुळती || १४ ||
दिव्यांबराचा चोपूनि पट्टा| मस्तकी वेष्टिला लपेटा|
वरी नक्षेत्रां ऐसा गोमटा| घोस मुक्तफळांचा || १५ ||
नाना सुमनाचिया माळा| मुगुटा वेष्टित घातला पाळा|
विविध परिमळें आगळा| नेतसे सुवायु || १६ ||
सर्वकाळ आनंदवदन | मंदहास्ये झमकती दशन |
कृपादृष्टी अवलोकन | करिती निजदासां || १७||
प्रवाळ वल्ली परम कठीण| सुरंगचि परि पाषण |
कोमळ अधरी दृष्टांत हीण | बोलों चि नये || १८ ||
कोटी मदन मयंक| उपमे नये श्रीमुख |
पूर्णत्वाचे पूर्ण बीक | लावण्यशोभा मुखश्री || १९||
चुबुक साजिरी हनुवटी| मुक्तमाळा डोलती कंठीं|
मर्डीव दोर्दंड बाहुवटी| रत्नकीळा फाकती || २० ||
शोभे विशाळ वक्षस्थळ | उदरीं त्रिवळी सरळ |
तेथे नाभी जन्ममूळ | चतुराननाचें || २१ ||
रत्नखचित पदक गळां| शोभती पुष्पांचिया माळा|
कट्टप्रदेशीं मेखळा| जघन सानु सींह्याकृत || २२ ||
पीतांबरू मालगंठी| कास कासिली गोमटी|
क्षुद्र घंटांची दाटी| गर्जती झणत्कारें || २३ ||
नाना सुगंध परिमळ | सर्वांगी उटी पातळ |
रुळे वैजयंती माळ | आपादपरियंत || २४ ||
करपलवीं रत्नभूषणें| आजानबाहु वीरकंकणें|
कीर्तिमुखें सुलक्षणं| केयूरें दंडीं || २५||
आपाद रुळे पीतांबरु| न कळे जानजंघाचा विचारु|
चरणीं ब्रीदांचा तोडरु | दैत्यपुतळे रुळती || २६ ||
गुल्फ वर्तुळ घोटि निळीं| मुर्डिव वांकि खळाळी |
अंदु लिगटे झळाळी| प्रभा तेथीची || २७||
पातळ पाउलें कोमले| पदपल्लवीं दशांगुळें |
नखतेजें चि उजळलें | ब्रह्मांड नेणों || २८ ||
कि उगवलीयां चंद्ररेखा | तैसीं नखाग्रें देखा|
सुरंग वर्तुळ टांका| आरणोदया सारिख्या || २९ ||
तलवे सुरंग सतेज| उर्धरखा आणि ध्वज |
वज्र अंकुश तेजपुंज| पद्म झळाळी || ३० ||
ज्ञानमुद्रा सव्य हस्ती | पाउल मांडीवरी येक क्षिती|
तेथे पावली उत्तम गती| अहिल्यासीळा || ३१ ||
ऐसी सर्वांगे सुंदर| सावळी मूर्ती मनोहर |
राजवेश अति सकुमार| शोभे सींहासनीं || ३२ ||
परिमळ धुशर उधळलें| तेणे श्रीमुख रजवटलें |
सतेज किरटीचें जालें| किंचित तेज मंद || ३३ ||
सकळ वनितांचे मंडण | परम लावण्य सुलक्षण |
जानकी अवनीगर्भरत्न | विश्वमाता || ३४ ||
ते जानकी जनकतनया | वामांगी शोभे मूळमाया|
दशणें निकट सुबाह्या| उभा असे लक्षमणु || ३५||
भरत शत्रुघ्न लावण्यखाणी| तैसाचि शोभे गदापाणी |
हास्यमुखें सुलळीत वाणी| बोलती परस्परें || ३६ ||
पीतयापरीस अधिक गती| जयावरी रघुनाथाची प्रीती|
पुढे सन्मुख मारुती| उभा असे कर जोडुनी || ३७||
भगवद्दासांचें मंडण | कपिकुळाचें भूषण|
सकळ वान्नरांचे प्राण | रक्षिले जेणें || ३८ ||
परम प्रतापें आगळा | दिसे जैसा पर्वत नीळा|
सिंधु उडोनी अवलीळा | जानकी शोधिली बळें || ३९ ||
स्वयंभ सुवर्णाची कासोटी| उभा उद्दित जगजेठी|
अति आदरें सन्मुख दृष्टी| रघुनाथपादांबुजीं || ४० ||